सर्वधर्मान परित्यज्य मामेकं शरणम् व्रज
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छठी माता धरतानी अपनो चरनवा
हो दीनानाथ
मागिले हम ये वरदान हो गंगा मईया
ए माई कौने कोठी लेहले...
तू हीं बाबू दउरवा ले जहिया